दुकानदार
आज भी उधार तोलता है
बेचारा कुछ नहीं बोलता है
उधार ही कितना
फर्क सिर्फ इतना
कि सौदा लेने
पहले बापू जाता था
अब बेटी जाती है ।
अनुवाद : नीरज दइया