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फल लगने पर / नचिकेता

फल लगने पर
यह भी निकला है बबूल ही ।

सोच समझकर
ही नेता इस बार चुना था ।
देखा-भाला था,
समझा था और गुना था ।

आज समझ में
आया यह भी सिर्फ़ भूल थी ।

पूर्ण व्यवस्था
सड़ी हुई है, हम क्या करते ?
तब्दीली
करने से नहीं, पद्धति से डरते ।

क्षुब्ध हवाएँ
ओढ़े इकरंगा दुकूल थीं ।

आऐगा बदलाव
न बिन हथियार उठाऐ ।
एक रंग में
दिखते सारे दाऐं-बाऐं ।

परिवर्तित
करने होंगे अब तो उसूल भी ।