Last modified on 28 सितम्बर 2007, at 12:49

फ़र्क़ / नीलाभ

क्या है जो कुतरता रहता है--

चूहे की तरह

धीरे-धीरे अदृश्य

-- दिनों के रेशे ?


पीले पत्ते गिरते रहते हैं

नि:शब्द एक-दूसरे पर

तह-दर-तह, वर्ष-दर-वर्ष

कि फ़र्क़ करना मुश्किल हो जाता है

एक को दूसरे से


यह समय है--तुम कहते हो

यह अकर्मण्यता है--मैं कहता हूँ


(रचनाकाल : 1975)