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फ़र्क़ है तुझ में, मुझ में बस इतना / राजेंद्र नाथ 'रहबर'

फ़र्क है तुझ में, मुझ में बस इतना,
तू ने अपने उसूल की ख़ातिर,
सैंकड़ों दोस्त कर दिए क़ुर्बां,
और मैं! एक दोस्त की ख़ातिर,
सौ उसूलों को तोड़ देता हूं।