Last modified on 20 जुलाई 2009, at 10:14

फ़र्क / विमल कुमार

इस शहर का एक किला था जिसमें शाम होते ही
बुर्ज के रंग बदल जाते थे
इस शहर में एक बाज़ार था जहाँ कुछ लोग अपने
डैने फ़ड़फ़ड़ाते थे
इस शहर में एक फव्वारा था जिसके आसपास
गुमसुम बेसहारा बच्चे बैठे रहते थे
इस शहर में एक बड़ा-सा तहखाना था जिसमें
जादूगर छिपे रहते थे
इस शहर में एक ऐसी बस्ती थी जहाँ जाने पर
दुनिया में सच और झूठ का फ़र्क समझ में आ जाता था