देखते ही देखते
एक-एक कर ढहती गई
हँसी की दीवारें
ख़ामोशी
ईंट दर ईंट
अपना मकां बनाती रही....
आह.....!
ये फ़ासलों की रातें.....!!
देखते ही देखते
एक-एक कर ढहती गई
हँसी की दीवारें
ख़ामोशी
ईंट दर ईंट
अपना मकां बनाती रही....
आह.....!
ये फ़ासलों की रातें.....!!