Last modified on 1 अप्रैल 2020, at 19:25

फ़ितरत / प्रगति गुप्ता

उसे वक्त ही कहाँ
मुझसे इश्क़ करने का...
वो पहले कमियाँ
तो सुधार ले मेरी
मुझे ख़ुद-सा तो ढाल ले
और जिस दिन मैं
बन गई उसके ही जैसी
तब क्या
ख़ाक करेगा इश्क़ मुझको...
वो तो इश्क़ खुदी से करता था
तब ही तो वह मुझमें
ख़ुद जैसी को ही
खोजा करता था...