रंग भरी
दिशाएँ
हरी, लाल, पीली ....
कुछ रुकी
हवाएँ
अलस गात, ढीली ...
चली कहीं
पिचकारी
बही धार, गीली...
फागुन में
कसक उठी
(फिर ...)
मन की कीली ... !
रंग भरी
दिशाएँ
हरी, लाल, पीली ....
कुछ रुकी
हवाएँ
अलस गात, ढीली ...
चली कहीं
पिचकारी
बही धार, गीली...
फागुन में
कसक उठी
(फिर ...)
मन की कीली ... !