फागुन के खुमारी में, तन-मन अजबारी छै
सालोॅ के मचानी पर, चैती केरोॅ पारी छै।
मेहनत के फसल धरलोॅ, खेताॅे सॅे खम्हारी पर
गदरैलाॅे खेसारी के, छीमरी सुकुमारी छै।
पैना की अखेना की, दौनी से ओसौनी की
खटरूस टिकोला संग, सतुआ मनोहारी छै।
गाछोॅ के फुलंगी पर, कोयल केरो किलकारी
उमतैलोॅ जे पछिया के, बहसल सिसकारी छै।
अचरा मे लपेटी के, कोठी में समेटी के
पहुना के पसीना से, गद्गद चिलकारी छै।