फागुन लाग्यौ सखि जब तें, तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यौ है ।
नारि नवेली बचै नहीं एक, विसेष इहैं सबै प्रेम अँच्यौ है ॥
साँझ-सकारे कही रसखान सुरंग गुलाल लै खेल रच्यौ है ।
को सजनी निलजी न भई, अरु कौन भटू जिहिं मान बच्यौ है ॥
फागुन लाग्यौ सखि जब तें, तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यौ है ।
नारि नवेली बचै नहीं एक, विसेष इहैं सबै प्रेम अँच्यौ है ॥
साँझ-सकारे कही रसखान सुरंग गुलाल लै खेल रच्यौ है ।
को सजनी निलजी न भई, अरु कौन भटू जिहिं मान बच्यौ है ॥