भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चन्दरमा री चांदणी तारा रो तेज मोळो रे।
बालमणा रो भाएलो परदेस नीकाळियो,
मूंडे मळियो नी।
हाँ रे मूंडे मळियो नी, जातोड़ा री पीठ देखी यो,
मूंडे मळियो नी।
- एक युवती कहती है कि- चन्द्रमा की चाँदनी और तारों का प्रकाश मंद है। मेरे बचपन का प्रेमी बिना मिले परदेश चला गया। मुझसे मिला भी नहीं, जाते हुए उसकी पीठ देखी। इससे वह क्षुब्ध है।