फाटक बन्द है / अशोक शाह



फाटक बंद है
रुक गई है
हाकिम की गाड़ी
आने-जाने की कहानी

रुके हैं रिक्शें,
ठेलें और टमटम वाले
बतिया रही हैं
मास्टरनी, डाक्टरनी, मजदूरनी

ठिठक गये
सब्जी-भाजी,
पानी के सिंघाड़ें

उठ रही है चाय की भाप
ढाबे में
पढ़ रहा कोई अख़बार

बिना झुके लगा रहा झाड़ू
नगरपालिका का स्वीपर
ये सायकिल वाले बगल से निकल रहे हैं
बूढ़े-बच्चे ,लड़कियाँ छोटी-बड़ी सभी

यह बच्चा क्यों रो रहा है ?
पानी पिला दो, दूध लाओ
हाँ, हाँ सू सू करा दो

गाड़ी के बैल मौन है खड़े
उनकी आँखों के कोनों से झर रहे हैं आँसू
लगातार

धान की बोरियों को पता है
इसलिए जल्दी आना चाहती हैं मंडी
पर फाटक बंद है

रेल की पातों पर बिफ़िक्र
लाल-हरी झंडिया हिलाता, ऊँघता
बूढ़ा गनमैन
देखता भी नहीं नज़र उठाकर
हाँ यही तो रेल चलाते हैं

फाटक बंद है
गाँव रुका है जाते-जाते
शहर की ओर

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