Last modified on 25 जनवरी 2011, at 06:01

फिरै सोधती / ओम पुरोहित कागद

पाणी
जिनगाणी
मुरधर ताणी
पण
सूना बादळ
आडावळ लारै
करै किलोळां
बायरै भेळी
रेत कळपती
फिरै सोधती
आखै दिन
फिरै भटकती
सिंझ्या हारी थकी
आय पोढै
निज सूनी सेज।