आओ फिर नज़्म कहें फिर किसी दर्द को सहलाकर सुजा ले आँखें फिर किसी दुखती हुई रग में छुपा दें नश्तर या किसी भूली हुई राह पे मुड़कर एक बार नाम लेकर किसी हमनाम को आवाज़ ही दें लें फिर कोई नज़्म कहें