Last modified on 21 जनवरी 2018, at 20:26

फुटकर शेर / ग़ालिब

1.हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

2.यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
  अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।

3.हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
  दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।

4.उनको देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,
  वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है।

5.इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
  कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।