फुनगियों तक
बेल चढ़ आई!
बादलों को
टेरती
होती सिंदूरी
देह सौगंधों हरी
मन की मयूरी
इंद्रधनु के
पत्र पढ़ आई!
दूब-अक्षत
फूल खुशबू
धूप गाती
सप्तपदियाँ घोलती
पायल बजाती
नेह के
सौ बिंब गढ़ आई!
फुनगियों तक
बेल चढ़ आई!
बादलों को
टेरती
होती सिंदूरी
देह सौगंधों हरी
मन की मयूरी
इंद्रधनु के
पत्र पढ़ आई!
दूब-अक्षत
फूल खुशबू
धूप गाती
सप्तपदियाँ घोलती
पायल बजाती
नेह के
सौ बिंब गढ़ आई!