मेरा भैया गोलमटोल,
दूध-जलेबी जैसे बोल।
दिन भर करता है शैतानी,
रोता जैसे फूटा ढोल।
जब-जब बजता फूटा ढोल,
सारा घर तब उठता डोल!
मेरा भैया गोलमटोल,
दूध-जलेबी जैसे बोल।
दिन भर करता है शैतानी,
रोता जैसे फूटा ढोल।
जब-जब बजता फूटा ढोल,
सारा घर तब उठता डोल!