फूले फूल बसंत, प्रिये जब से तुम आये।
बरसाने को नेह, प्रीत के बदरा छाये॥
तुमसे ही दिनरात, महकती हिय की क्यारी।
सपनोँ की सौग़ात, लगे ये दुनिया प्यारी॥
हिय तो पंख पसार, गगन में उड़ता जाये।
बरसाने को नेह, प्रीत के बदरा छाये॥
मीठी तेरी बात, हृदय में मिसरी घोले।
बनके पीपर पात, सरस मन मेरा डोले॥
कोयल से ले राग, गीत उर गाता जाये।
बरसाने को नेह, प्रीत के बदरा छाये॥
सतरंगी है साथ, खिले सुमनों सा प्यारा।
सुख दुःख सबके साथ, सजेगा जीवन प्यारा॥
नीरव काली रात, भोर स्वर्णिम ले आये।
बरसाने को नेह, प्रीत के बदरा छाये॥
फूले फूल बसंत, प्रिये जबसे तुम आये।
बरसाने को नेह, प्रीत के बदरा छाये॥