अगर होता मैं फूलों का राजा!
कमल-गुलाब-गेंदा-कनेर
मानते सब कहना मेरा,
महकाता मैं हर बगिया को
होता खुशबू का डेरा।
फूलों के आसन पे बैठ मैं
अपना हुकुम चलाता,
फूल तोड़नेवाले को मैं
कड़ी सजा दिलवाता।
दुनिया के कोने-कोने से
बदबू दूर भगाता,
चाँद-तारों से घुल-मिलकर मैं
बातें खूब बनाता।