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फूल चिड़िया और नदी / सुरेश विमल

फूल खिला फिर
चिड़िया के प्रयासों से
नदी किनारे की हवाओं में
फिर तैरने लगे
फूल और चिड़िया की
प्रगाढ़ मित्रता के
गाढ़े रंग और
सम्मोहक ख़ुशबू।

नदी-जल के अमृत से
सिंचित हो
चिर-युवा हुए जैसे
दोनों...

फूल की ख़ुशबू थी अब
चिड़िया का संगीत था
और था
नदी का कल-कल निनाद
हवाओं में घुलता
तैरता हुआ...!