मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
फूल लोढ़य चललि मलिनियाँ रामजी के बगिया
खोंइछा भरि लोढ़लो, दउरिया भरि तोड़ली
आबि गेल राजा रखबरबा हो रामा
खोंइछा भरि छिनलो, दउरिया भरि छिनलो
आँचर धय झिकझोड़ल हो रामा
छोडू-छोडू आहो राजा, अँचरा के खुटबा
रोबति होयतै गोदी के बलकबा हो रामा
घरबामे होयतौ मालिन सासु गे ननदिया
खेलबति होयतौ गोदी के बलकबा हो रामा
सासु मोर आन्हर ननदि ससुररिया
पियाजी रहए परदेशिया हो रामा