सुनो,
आज जब सुबह
सोकर उठो
तो अपने आप को
तरोताजा करने के लिए
मत देखो
अपनी दोनों कोमल हथेलिेयाँ
मत जाओ किसी ईश्वर की
आरती उतारने
निकल जाओ
किसी भीड़ भरी
या सुनसान सड़क पर
जहाँ फुटपाथ पर सो रहा
मैले-कुचैले थके-हारे
जीवन की अमिट जिजीविषा की
चादर में लिपटे बचपन को
जाकर प्यार से उनके
गाल सहलाकर
उसको वहाँ से
निकालने की बात पर विचार करो
फिर देखो तुम्हारा दिन
कैसे बिना ब्रश
और नाश्ता किेए भी
चम्पा के फूलों सा ताज़ा हो
महक उठेगा
जरा उनकी ओर
ध्यान से देखो
जो अपनी फटी निकरों
और फ्राकों में
इस बेरंगी दुनिया में
रंग-बिरंगे फूल और गुब्बारे
बेचते नज़र आते है
और पास ही उनकी माँ
चिथड़ों में लिपटी
और एक नवजात को
तैयार कर रही होती है
कि वह भी बड़ा होकर
बेंचे गुब्बारे
या फिर फूल या अधनंगी
तस्वीरों वाली किताबें
उसकी इस
अधनंगी तस्वीरों वाली
बदरंगी दुनिया में
रंग भरने के लिए
पता नहीं
इन मैले-कुचैले थे गले जड़ी
अंधेरे की दुनिया में
कही छिपा बैठा हो
हमारा छोटा-सा भीमराव
या फिर छोटी सी सावित्रीबाई,महावीरी,
शर्मिला ईरोम, बछेन्द्री पाल,झलकारी -सी
मजबूत इरादों वाली
नरगिस, मीनाकुमारी-सी अदाकारा
ये भी हो सकता है कि इनमें ही
कोई बड़ा होकर बन जाए
भगत सिंह
और बोने लगे कही
बंदूक और गोलियाँ
संभव है कि
अभावों में पली पूरी की पूरी कौम
एक दिन बारूद बन कर
फूट पडे
इस बेहया निर्लज्ज हरामखोर
कमीनी जमात पर
अब भी समय है
चलो,
अपने आपको
फ्रेश करने के तरीके
बदल डालो।