जब सब आरती कर रहे थे
वह पौधों को
पानी देने में मगन था
भीतर ही भीतर
जब सब अपनी मनौतियों में
थे सराबोर
वह दुखी था--
कि अन्तत: उस बिल्ली को
बचाने में नहीं हुआ कामयाब
बंगले में
सम्पन्नता थी हर जगह
पर उसे ग़म था
आदमी के न होने का
जब सब आरती कर रहे थे
वह पौधों को
पानी देने में मगन था
भीतर ही भीतर
जब सब अपनी मनौतियों में
थे सराबोर
वह दुखी था--
कि अन्तत: उस बिल्ली को
बचाने में नहीं हुआ कामयाब
बंगले में
सम्पन्नता थी हर जगह
पर उसे ग़म था
आदमी के न होने का