मनोकामना सिद्धि के नौवें दिन
बाबा लोगों के गुमे जानवरों को बेटे और बहू के लिए छोड़
सिद्ध काली के चौतरे पर ही सिधार गए
जोगनी ने तेज़ बहते आंसुओं को जल्दी-जल्दी पोंछते हुए
बाबा की देह से छपटकर इतना ही कहा था
'मेरी शादी करके यमराज का भैसा ढूँढने नहीं जा सकते थे बाबा...'