Last modified on 15 अगस्त 2020, at 01:19

बंजर धरती / विपिन चौधरी

ज़मीन के इस टुकड़े पर
अबकी बार
किसान नहीं रोपेगा
बाजरा, जवार, चावल और मूँग
न रबी की फ़सलें
यहाँ अपनी जड़ें पकड़ेंगी
 
इस बरस यह भूखण्ड
अपनी मनमर्ज़ी के लिए मुक्त है
अब यहाँ केचुएँ ज़मीन की कितनी ही परतों को खोद सकते हैं
और ज़मीन अपने सीने पर उन खरपतवारों को उगते
देख सकती है
जिन्हें हर बरस
किसान और उसका परिवार
दम लगाते हुए जड़ समेत उखाड़ देता है
 
इस बार यह ज़मीन
रोपेगी अपने मन की वह फ़सल
जिसकी चाहना को उसने अपने
गर्भ में कभी
अँकुरित किया था