स्कूटर पर बंदर के पीछे
बंदरिया थी बैठी
पहली-पहली बार चढ़ी थी
खूब शान से ऐठी।
गड्ढे आए लगातार तो
लगा उछलने सकूटर,
घबराकर बोली-‘रोका जी,
मुझको लगता है डर’।
[बालक, मार्च 1974]
स्कूटर पर बंदर के पीछे
बंदरिया थी बैठी
पहली-पहली बार चढ़ी थी
खूब शान से ऐठी।
गड्ढे आए लगातार तो
लगा उछलने सकूटर,
घबराकर बोली-‘रोका जी,
मुझको लगता है डर’।
[बालक, मार्च 1974]