श्याम-बंसी रचे कहानी है ।
संग सोहे चतुर सयानी है ।
मोहिनी मान स्नेह जो पावे,
दुक्ख मन के हरे सुहानी है ।
सप्त सरगम सुधा लुटाये जो,
सत्य-सुंदर-शिवम् - रवानी है ।
तीर अँखियन चला रहे केशव,
नैन मोहन बसी लुभानी है ।
मोह माया भरम मिटाकर अब,
प्रेम मधुरस तृषा जगानी है ।