गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 9 मार्च 2009, at 06:06
बक़ा / कैलाश वाजपेयी
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
कैलाश वाजपेयी
»
सूफ़ीनामा
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
बूँद-बूँद बनकर
बार-बार
बीच में खो जाती है धार
बड़की नदी से
मिलूँ
तो समुद्र मिले
तो समुद्र मिले.