बगत रो माळी,
सींची सूरज रै झौर स्यूँ
आभै री बाड़ी,
गोभी रै फूल सा
सोरणाँ तारा,
पाक्योड़ै खरबूजै सो
गोळ मटोळ चाँद,
बाड़ी नै सूनी देख’र
बडग्या बादलियाँ रा साँड़,
धाप्योड़ाँ री धडक
ठेठ भौम ताँई सुणीजै !
बगत रो माळी,
सींची सूरज रै झौर स्यूँ
आभै री बाड़ी,
गोभी रै फूल सा
सोरणाँ तारा,
पाक्योड़ै खरबूजै सो
गोळ मटोळ चाँद,
बाड़ी नै सूनी देख’र
बडग्या बादलियाँ रा साँड़,
धाप्योड़ाँ री धडक
ठेठ भौम ताँई सुणीजै !