क्या यह बचाव की युक्ति
यानी आत्म-प्रवंचना ही नहीं है
कि मैं हर बाहरी घटना को अपने मन में ले जाता हूँ
और उसे एक मुन्ना-सा रूप दे देता हूँ
जैसे जापानी लोग, सुना है, अपने ड्राइंग-रूम में नदी और पहाड़ बना लेते हैं
यानी यह जो बंगला देश की विभीषिका है
इससे उद्वेलित होकर
हफ़्ते भर तक बेचैन रहा
और फिर अंत में मैंने सिर्फ़ एक सिगरेट कम कर दी ।