घक्कम धुक्की रेलम पेल
खेलेॅ, चूहा-बिल्ली खेल।
बिल्ली होय भालू गुरैलै
चन्दू-नन्दू दौड़ले ऐलै
ओकरा पीछू पिंकू-स्नेल
शुभमो ऐलै होय के रेल।
गंुजन चूहा रोॅ सरदार
सबकेॅ बोलै ऊ-‘होशियार’!
छोटी-कुन्नू बाहरे खेल
तभियो धरलोॅ गेलै नकेल।
चूहा ठो उत्पात, मचाबै
बिल्ली भी कम कहाँ बुझाबै
दोनों करै छै ठेलमठेल
सोनू-गुलशन देखै खेल।
कोमल-कंचन-सूरज-बिट्टू
खेल देखी केॅ सब्भे लट्टू
ऐलै उड्डन; गाड़ी ठेल।
खतम होलौ बच्चा रोॅ खेल।