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बच्ची / तेजी ग्रोवर

एक दिन
अपने हिस्से का लावण्य मैंने उसे दिया

बहुत धुआँसी थी धूप उस दिन की
और मुझ पर एक मोरपंखी ओढ़नी

उसे लेने की जगह वह नहीं खड़ी थी
डिठौना लगाए वह सन्तरे के छिलकों को देख रही थी
लावण्यहीन टकटकी में उसका एक दिन
पृथ्वी पर, मेरे मन में भारी था

कहीं गए हैं
उसे बताए बिना उसके सगे कहीं गए हैं

मैं यहीं हूँ
और आज के दिन
सौन्दर्य के बिना रह सकती हूँ