ज़िन्दगी के नज़ारे तुम्हारे, नर्म रौ चाँद तारे तुम्हारे
व़क्त के तेज़ धारे तुम्हारे, देश माता की आँखों के तारो
तुम सलामत रहा माह पारो
होगा लब पर तराना तुम्हारा, बस कहेंगे फ़साना तुम्हारा
आने वाला ज़माना तुम्हारा, सामना कर न पाएगी मुश्किल
पाँव चूमेगी आ-आ के मंजिल
तुम सँभालोगे इक रोज़ शासन, तुम में ऐ नौनिहालाने गलशन
कितने नेहरू हैं और कितने राजन, कितने आज़ाद है कितने गाँधी
जिनके क़दमों से थर्राए आँधी
तुम नयी ज़िन्दगी का उजाला, है तुम्हारा ही दौर आनेवाला
दम भरेगा तुम्हारा हिमाला, देश की सर बुलँदी है तुम से
यानी इक़बालमंदी है तुम से
बहते धारों के मस्ताना तेवर, साँस लेता हुआ हिन्द सागर
किस क़दर नाज़ करता है तुम पर, सर उठाती हुई मौज तुम हो
आगे बढ़ती हुई फ़ौज तुम हो
तुम हो पुरखों की ज़िन्दा निशानी, रंग लाये तुम्हारी जवानी
तुम से तूफ़ान हो पानी-पानी, माँ के काम आना माँ के दुलारो
ज़िन्दाबाद ऐ वतन के सितारो