चलू सखि सभ मिलि बुल' बिजुबन
खटगर टिकुला तोड़बै ना...
किछुए दिवस बचल नैहर मे
हिया सँ हिया कें जोड़बै ना...
माँतल वसंत जुआनी
बाप-पित्ती भेला खरिहानी
गाछ-वृछ अपने ओगरबै ना...
एक दोसर सँ बदलब चूड़ी
जूड़शीतलक दलिपूड़ी
अचारक संग कतरबै ना...
बाटकात पोदीनक पत्ता
बूट खसखस चतरल खत्ता
खोंटि आंचर मे धड़बै ना...
जौं भेंटत छौड़ा बहसल
छोडेबनि आदति रहसल
सबहक गट्टा मचोड़बै ना...
आब ककरा सँ डरब सिनेही
बेटीधन आनक गेही !
श्रद्धासुमन सभ लोढ़बै ना...