बड़े निराले चंदू मामा,
सोने में हैं पूरे गामा।
बातें करते-करते वो तो
खर्राटे भरने लगते हैं,
खर्राटे भी ऐसे धाँसू
बच्चे सुन डरने लगते हैं।
ऐसा लगता देख रहे हों-
कुंभकर्ण का कोई ड्रामा।
तोंद फूलती और पिचकती
बार-बार तेजी से ऐसे,
हारमोनियम पर बैठा हो
कोई नौसिखिया-सा जैसे-
खर्राटों की लय, धुन बाँधे,
सा रे गा मा, सा रे गा मा।
बिन देखे विश्वास न आए
वो कमाल मामा करते हैं,
अपने ही खर्राटे सुनकर
कई बार खुद जग पड़ते हैं-
और पूछते, नींद खुल गई-
कौन कर रहा था हंगामा?