Last modified on 26 दिसम्बर 2014, at 17:09

बताओ ख़ुदा / अरविन्द कुमार खेड़े

एक भयानक दुःस्वप्न
नींद उचट जाती है एकाएक
धड़कनें हो जाती है तेज
पसीने से हो जाता हूँ लथ-पथ
उससे ज्यादा भयावह
मंजर को देख
लगभग
अनदेखा करते हुए
नाप लेता हूँ अपना रास्ता
या ख़ुदा
बताओ तो सही
स्वप्न में कौन जिया
मेरे अंदर
जागृति में
कौन मरा मुझमें
बताओ ख़ुदा.