Last modified on 5 अगस्त 2019, at 23:06

बदरा मिलिन अकाश / शिवशंकर शुक्ल

बदरा मिलिन आकाश
आंसू टूटिन मन म
सुरुज के ननपन संगे आथे
बूढ़त दिन के संगे जाये

जुंबा दिन के सुरता देवाथे
चुभये कांटा सन मन मं

कतेक मांदत ए बादर
ए करिया-करिया बादर

जग सांही ए बादर
खुदगरजी कस मन मं
ऐ दूसर ला सुख देथे
काखर दुख चुप सहि लेथे

बन ठन के लुटवा देथे
बने दिन बो डगर मां

मोरो दिन बने बने रहिस
फेर जोड़ी के सुरता आइस
करिया बदर के घुमड़े ले
बिजली कड़किस कड़किस मन मं

बादर कले चुप होगे हो
सन सन कस मन मं

भर देते फेर राग नवा
धुप अंधियार ए मन मं

मोला न कखरो डर हे
सबले बलवान समय हे

ओ बदरा उहां अमरा दे
काबर परे संसों मं ।