जस दिन पकड़ी थीं
तुमने मेरी कोमल नरम अंगुलियाँ
उसी दिन से भर गई हूँ मैं
एक कोमल अहसास से
और रिक्त ही नहीं हो पाती हूँ इससे
कि मेरी ये सारी अंगुलियाँ
चंदन के छोटे-छोटे बिरवे हो गयी हैं।
जस दिन पकड़ी थीं
तुमने मेरी कोमल नरम अंगुलियाँ
उसी दिन से भर गई हूँ मैं
एक कोमल अहसास से
और रिक्त ही नहीं हो पाती हूँ इससे
कि मेरी ये सारी अंगुलियाँ
चंदन के छोटे-छोटे बिरवे हो गयी हैं।