Last modified on 31 मार्च 2017, at 14:17

बदलाव / आभा पूर्वे

जस दिन पकड़ी थीं
तुमने मेरी कोमल नरम अंगुलियाँ
उसी दिन से भर गई हूँ मैं
एक कोमल अहसास से
और रिक्त ही नहीं हो पाती हूँ इससे
कि मेरी ये सारी अंगुलियाँ
चंदन के छोटे-छोटे बिरवे हो गयी हैं।