बचपन में लिखे थे उसने
कुछ अपशब्द
दीवार की छाती पर ।
अब कई गुणा होकर
पसर गए हैं बरसों बाद
पोत देना चाहता है वह उन्हें
एक ही झटके में
एक साथ ।
बेटी जो
इसी गली से
स्कूल जाने-आने लगी है ।
बचपन में लिखे थे उसने
कुछ अपशब्द
दीवार की छाती पर ।
अब कई गुणा होकर
पसर गए हैं बरसों बाद
पोत देना चाहता है वह उन्हें
एक ही झटके में
एक साथ ।
बेटी जो
इसी गली से
स्कूल जाने-आने लगी है ।