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बदला नहीं जमीर / शैलेन्द्र शर्मा

स्यापा करने से बोलो क्या
बदलेगी तस्वीर

महावीर -गौतम -गुरुनानक
दादू और कबीर
दे-देकर उपदेश थक गये
कितने संत-फकीर

पूज-पूज मूर्तियाँ सभी की
पीटी मात्र लकीर

चोले बदल बदल कर देखे
जाने कितनी बार
अंतर्मन तो दुर्गंधित है
बाहर इत्र-फुहार

चेहरे पर कितने ही चेहरे
बदला नहीं जमीर

एकरूपता दिखे कहीं न
समरसता की बात
घनी अँधेरी रातें फिर भी
कहते स्वर्ण प्रभात

नाम बदल देने से बोलो
कब बदली जागीर