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बदले माहौल में / कुमार रवींद्र

मौसम के साथ-साथ चलिए
                     अरे यार
           आप भी बदलिए
 
देखिए हवाओं के
रँगे हुए चेहरे
क्या हुआ
अगर नीचे हैं सूखे सेहरे
 
नकली इन फूलों से अपने को छलिए
 
लादे हैं
फटे हुए आप ये गदेले
नंगों की भीड़ में
आप हैं अकेले
 
बदले माहौल में आप ज़रा ढलिए
 
सुनिए मत
बरगद की खुरदुरी दुआएँ
रेशमी मुखौटों से
सीखिए अदाएँ
 
लोग बहुत सँभले हैं- आप भी सँभलिए