Last modified on 26 जुलाई 2010, at 15:52

बदले हुए तट / लीलाधर मंडलोई


नर्मदा का पाट यहां
कितना विशाल था
कितनी जलराशि थी यहां

अब यह एक क्षीण जल-रेखा बची
इसके तट पर
मिलें, इमारतें, फैक्ट्रि‍यां‍

लोग नर्मदा के बचे-खुचे जल में यहां
अब पानी नहीं पीते
उसमें अपना मलिन मुख झांकते हैं

उनके मुखों पर
नदी के खोते जाने की कथा है
जिसे पढ़ती है नदी

और बदले हुए तटों को देखती है चुपचाप
00