राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ओजी पांच बधावा म्हारे आइया।
ओ जी लीना छै आचल मोड़ नारेल म्हारे बारेण।
सुपारी चानण चौक में, इलायची इगदरा रे माय।
दाख धण री सेज में जी।
पहलो बधावो म्हारा बाप को। ओ जी दूजो सुसरा जी री पोल। नारेल...
ओ जी इगन्यो बधावो म्हारे बीर को जी। ओ जी चौथो म्हारे जेठ बडांरी पोल।
पांचवों बधावो चानण चौक को जी। ओ जी बैठेला देवर जेठ। नारेल म्हारे बारेण।
सातवों बधावो म्हारो कूंख को जी। ओ जी जाया छै लाडण पूत। नारेल म्हारे बारेण।