राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बना थांका दादा सा न कहर मंगाद्यो घोड़ी अलवर स,
घोड़ी अलवर की मंगवा द्यो, सेवरा सोना का मंगवा द्यो,
तिलक रोली को लगवा द्यो, माला फूलो की मंगवा द्यो,
हो जी बना पहर चलो ससुराल, परण लाओ सीता जानकी।
बना थांका दादा सा न कहर मंगाद्यो घोड़ी अलवर स,
घोड़ी अलवर की मंगवा द्यो, सेवरा सोना का मंगवा द्यो,
तिलक रोली को लगवा द्यो, माला फूलो की मंगवा द्यो,
हो जी बना पहर चलो ससुराल, परण लाओ सीता जानकी।