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बन्द’र खुली / कन्हैया लाल सेठिया

बन्द’र खुली
किसी आँख है
जकी नै सपनां
कोनी सुवावै ?
शूळ’ र फूल
इसड़ो कुण है
जकै नै ठंडी पून
कोनी भावै ?