बरसों से बन्द पड़ा तलघर
सीलन से भरा
धूल ढँकी बिन कब्जों की
लकड़ी की पेटी में
रखी हैं अब तलक
पुरानी बहियाँ और चिट्ठियाँ
और एक कोने में
दीमक लगी भागवत
उखड़ी हुई जिल्द
नाना के हाथों मँढ़ी हुई।
(1985)
बरसों से बन्द पड़ा तलघर
सीलन से भरा
धूल ढँकी बिन कब्जों की
लकड़ी की पेटी में
रखी हैं अब तलक
पुरानी बहियाँ और चिट्ठियाँ
और एक कोने में
दीमक लगी भागवत
उखड़ी हुई जिल्द
नाना के हाथों मँढ़ी हुई।
(1985)