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बरखा रानी / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

रवि शीतल शशि तनमन कलकल
बीतल उष्णादिक ग्रीष्मक चरखा
गदरल बहकल झहरल पावस
आबि गेली मधुयामिनी बरखा
सूतल वितान हरियर खहखह
नव कोमल कोंपर पुनि महमह
सुक्खल धरिणी भेली चहचह
सोती कछेर चाली सहसह
बेंगक स्वर सुनि नेना सूतल
विरहिणी जुआरि वासर बहसल
खेतक सीता बिच विहनि जुआन
जड़-चेतन घुरि शील प्राण
मरुओ नव रज सँ भेल उत्तान
कर्म ह'र कान्ह ल' चलल किसान
ई संभव त' तखने हेतै
सुरनृप जखने सम बरसेतै
जहिया इन्द्राणी जेती नैहर
देवराज निलय कोपक गहवर
बुझू ओहि बरख अकाल परत
जलमास जीव नीर बिनु मरत
जौं रहसत पूर्वा त' अतिवृष्टिक ड'र
कोशिकान्हा लोक करय थरथर
करेह-गण्डकीक की हाल कहब
कागतक रिलीफ मे बहैत रहब
करू नमन सिनेही सभ परानी
नहि विंहुसथि पुनि वरखा रानी
वसंतो त' तखने हरियर
पावसी सकाल झहरथि झरझर
व्याघ्र-कमलाक हाल जुनि करब बेहाल
गुनि- धुनि जल छोड़ब यौ नेपाल