( बरवै रामायण बालकाण्ड/पृष्ठ-3)
( पद 11 से 15तक)
सिय मुख सरद-कमल जिमि किमि कहि जाइ।
निसि मलीन वह निसि दिन यह बिगसाइ।11।
चंपक हरवा अंग मिलि अधिक सोहाइ।
जानि परै सिय हिवरें जब कुँभिलाइ।12।
सिय तुव अंग रंग मिलि अधिक उदोत।
हार बेल पहिरावौं चंपक होत।13।
नित्य नेम कृत अरून उरय जब कीन।
निरखि निसाकर नृप मुख भए मलीन।14।
कमठ पीठ धनु सजनी कठिन अँदेस।
तमकि ताहि ए तोरिहिं कहब महेस।15।
(इति बरवै रामायण बालकाण्ड पृष्ठ 3)