कोमल करिया रं छै, मोहै सगरो जहान
बिजली पीताम्बर के भान दरसावै छै ।
रस के समुद्र उमड़ैलें नभ मंडल में
घन-घन के नादोॅ में बौंसली बजावै छै ।
बौगला के पाँती मोती माला सोहै केसोॅ पर
विविध विलास मुक्त रस बरसावै छै ।
सावनोॅ के बादलोॅ के रूप धरी ‘श्री उमेश’
व्रज के बिहारी लाल नन्दलाल आवै छै ।