बरसात का मौसम
बहुत ही रास आए है जिसे
उससे नहीं पूछो
पूछो, मगर उससे
चला है पूछता जो
आग की हालत
यह आग की हालत
बहुत ही रास आए है जिसे
उससे नहीं पूछो
पूछो, मगर उससे
जला है जो बरफ़ की
घाटियों में जा
बरफ़ की घाटियों में
जो गया है खो
कहता रह गया
बरसात का मौसम
पहाड़ी ज़िन्दगी को
हाय ! कितना त्रस्त करता है !